Bihar Adhikar Yatra : राजद (राष्ट्रीय जनता दल) नेता और राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने पार्टी द्वारा निकाली जा रही ‘बिहार अधिकार यात्रा’ को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा कोई अलग या नई पहल नहीं, बल्कि अब तक की सभी यात्राओं का विस्तार है, जिसका एकमात्र उद्देश्य बिहार के असली मुद्दों को केंद्र में लाना है।
मनोज झा ने साफ कहा, “इस यात्रा को आप अलग यात्रा मत समझिए… यह तमाम यात्रा का विस्तारिकरण है। हर यात्रा एक संदेश लेकर चली… आशय सिर्फ एक है, बिहार में बदलाव बिहार के मुद्दों पर होगा।”
यात्रा का फोकस: बिहार के असली मुद्दे
राजद की इस यात्रा का फोकस रोज़गार, पलायन, सामाजिक सुरक्षा, बेहतर शिक्षा व्यवस्था, और सशक्त स्वास्थ्य प्रणाली पर है। पार्टी का कहना है कि नीतीश कुमार और एनडीए सरकार की नीतियों ने इन सभी क्षेत्रों में प्रदेश को पीछे धकेल दिया है, और अब वक्त है बदलाव का।
मनोज झा ने आगे कहा, “यह यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक आयोजन नहीं, बल्कि जनता के साथ संवाद स्थापित करने का जरिया है। हम यह बताना चाहते हैं कि बदलाव सिर्फ नारों से नहीं, मुद्दों पर आधारित संघर्ष से आता है।”
राजनीतिक संदेश और रणनीति
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह यात्रा आगामी 2025 बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों का हिस्सा है। राजद इस यात्रा के ज़रिए अपने जनाधार को मजबूत करने और बिहार में सत्ता वापसी की रणनीति को गति देने की कोशिश कर रही है। तेजस्वी यादव इस अभियान के मुख्य चेहरे होंगे और वे राज्य के कोने-कोने में जाकर लोगों से सीधा संवाद करेंगे।
जनता के बीच सीधा संवाद
राजद नेताओं का मानना है कि सरकार ने जनता से दूरी बना ली है, और जन संवाद की कमी ने आम आदमी की समस्याओं को और बढ़ाया है। ‘बिहार अधिकार यात्रा’ में नेता गांव-गांव जाकर जनता से मिलेंगे, उनकी समस्याएं सुनेंगे और राजद का विज़न साझा करेंगे।
राजद की सामाजिक न्याय की विरासत
राजद हमेशा से सामाजिक न्याय, आरक्षण, और पिछड़ों की भागीदारी की पक्षधर रही है। मनोज झा के मुताबिक, यह यात्रा उसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए बिहार को एक बेहतर भविष्य देने की दिशा में कदम है।
‘बिहार अधिकार यात्रा’ राजद की एक सशक्त राजनीतिक पहल है, जो न केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि नीतिगत बदलावों की मांग और जनता के मुद्दों को राजनीतिक विमर्श में शामिल करने की कोशिश भी है। मनोज झा का यह स्पष्ट संदेश है कि बिहार का भविष्य बिहार के मुद्दों पर ही तय होगा, न कि खोखले वादों और सियासी समीकरणों पर।
