Jagdish Vishwakarma: गुजरात की राजनीति में नया मोड़ आता दिख रहा है। तीन बार विधायक और सहकारिता, MSME, कुटीर, खादी एवं ग्रामीण उद्योग मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने शनिवार को गुजरात भाजपा के नए अध्यक्ष के रूप में शपथ ली। 52 वर्षीय ओबीसी नेता जगदीश विश्वकर्मा को इस पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार के तौर पर नामांकन मिला था। उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटील का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल जुलाई 2023 में खत्म हो चुका था, लेकिन वे पद पर बने हुए थे।
साधारण कार्यकर्ता से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक का प्रेरणादायक सफर
बताते चले कि, जगदीश विश्वकर्मा की राजनीति की शुरुआत 1998 में बूथ स्तर के कार्यकर्ता के रूप में हुई। अहमदाबाद के थक्करबापानगर के पंचाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विश्वकर्मा का यह सफर संगठन में उनकी मेहनत, नेतृत्व क्षमता और भरोसे की कहानी है। MSME क्षेत्र में सक्रिय व्यवसायी होने के कारण उनकी व्यावहारिक सोच संगठन को नई दिशा देने में सहायक रही।
पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी
जगदीश विश्वकर्मा ने राज्य भाजपा की उद्योग सेल के संयोजक और अहमदाबाद शहर भाजपा अध्यक्ष के पद तक का सफर तय किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनके करीबी संबंध पार्टी में उनकी मजबूत छवि का आधार हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ उनके घनिष्ठ संबंध भाजपा की विचारधारा से उनके गहरे जुड़ाव को दर्शाते हैं।
सहकारिता मंत्री के रूप में किए महत्वपूर्ण सुधार
अहमदाबाद के निकोल विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक चुने गए जगदीश विश्वकर्मा ने राज्य सरकार में मंत्री के रूप में भी सक्रिय भूमिका निभाई। 2021 में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद उन्हें इस विभाग का प्रभारी बनाया गया। उन्होंने सहकारी बैंकों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कई सुधार लागू किए, जो उनकी दूरदर्शिता का परिचायक हैं।
अहमदाबाद के धनी विधायकों में शामिल
2022 के विधानसभा चुनाव में दाखिल हलफनामे के अनुसार, जगदीश विश्वकर्मा की कुल संपत्ति 20.42 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें नकद राशि 5.53 करोड़ रुपये भी शामिल है। उनकी पत्नी अल्काबेन की संपत्ति 2.51 करोड़ रुपये है। उनकी संपत्ति MSME व्यवसाय और राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी है, जो उनकी उद्यमशीलता को दर्शाती है।
2026 के स्थानीय निकाय चुनाव होंगे पहले बड़े इम्तिहान
भाजपा के नए अध्यक्ष के तौर पर जगदीश विश्वकर्मा का पहला बड़ा चैलेंज 2026 में होने वाले निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और तालुका पंचायत चुनाव होंगे। इन चुनावों में भाजपा को खासकर ओबीसी और ग्रामीण इलाकों में मजबूत प्रदर्शन करना होगा। विश्वकर्मा की संगठन क्षमता और RSS से जुड़ाव पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
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