Shardiya Navratri Day 3: शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है। नवरात्रि का तीसरा दिन आज यानी 24 सितंबर को पड़ा है। देवी चंद्रघंटा को शांति, साहस, योद्धा स्वभाव और स्थिरता की देवी माना जाता है। नवरात्रि के इस दिन मां के इस स्वरूप की पूजा कर भक्त अपनी सभी मानसिक, शारीरिक और आत्मिक समस्याओं से मुक्ति की कामना करते हैं। आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व, विधि, मुहूर्त और भोग की पूरी जानकारी।
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मां चंद्रघंटा का स्वरूप

मां चंद्रघंटा, देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं, जिनके माथे पर अर्धचंद्र की आकृति होती है, जो घंटी के आकार की होती है। इसी कारण इन्हें ‘चंद्रघंटा’ कहा जाता है। यह स्वरूप देवी पार्वती का है, जब उन्होंने भगवान शिव से विवाह के पश्चात राक्षसों के नाश के लिए योद्धा रूप धारण किया।
मां चंद्रघंटा का यह रूप अत्यंत शक्तिशाली, साहसी और भयंकर होते हुए भी अपने भक्तों के लिए सदा सौम्य और कल्याणकारी रहता है। वह बाघ पर सवार होती हैं और उनकी दस भुजाओं में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र सुशोभित होते हैं। उनका यह रूप यह संकेत देता है कि वह सभी नकारात्मक और दुष्ट शक्तियों को नष्ट कर सकती हैं।
मां चंद्रघंटा पूजा मुहूर्त
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए विशेष मुहूर्त इस तरह है—
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:35 से 05:23 तक
अमृत काल: सुबह 09:11 से 10:57 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:14 से 02:52 तक
इन शुभ मुहूर्तों में मां की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
सबसे पहले प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान को शुद्ध करके मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजा का संकल्प लें और मां को लाल फूल, रोली, अक्षत, और पंचमेवा अर्पित करें।
धूप, दीपक जलाएं और मां को खीर या हलवा का भोग अर्पित करें।
इसके बाद “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” मंत्र का जाप करें।
अंत में आरती करें और प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में बांटें।
मां चंद्रघंटा को चढ़ाएं ये भोग
मां चंद्रघंटा को दूध से बनी खीर अत्यंत प्रिय है। इसे विशेष भोग के रूप में अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही लौंग, इलायची, पेड़ा, पंचमेवा भी शामिल करें। साथ ही फल और मिठाई का भोग लगाएं।
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भय, मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है इसके अलावा साहस और आत्मबल की प्राप्ति होती है। घर में शांति, स्थिरता और समृद्धि आती है। साथ ही नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा होती है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
