Navratri Day 9: देशभर में शारदीय नवरात्रि की धूम है, और आज नवरात्रि की नवमी तिथि है। नवमी का दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप, मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धालु मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं। माना जाता है कि नवमी के दिन कन्या पूजन करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। आइए जानें नवमी पूजा की संपूर्ण विधि, मंत्र, भोग और अन्य जरूरी बातें।
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मां सिद्धिदात्री का मंत्र

मां सिद्धिदात्री को ज्ञान, शक्ति और सिद्धियों की देवी माना जाता है। नवमी के दिन उनकी पूजा से व्यक्ति के समस्त संकट समाप्त होते हैं और जीवन में सफलता आती है। मां सिद्धिदात्री का मुख्य मंत्र है—
“ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः”
इसके अलावा उनका बीज मंत्र भी अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः”
मंत्र का जाप करते हुए भक्ति और श्रद्धा के साथ पूजा करने से विशेष लाभ होता है।
नवमी के दिन भोग और पूजा सामग्री
मां सिद्धिदात्री को नवमी के दिन हलवा, पूरी, काले चने और मौसमी फल भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही पंचामृत और सिंघाड़े का हलवा भी विशेष पसंदीदा होता है। ये भोग मां को प्रसन्न करने के लिए लगाए जाते हैं और पूजा में इसका विशेष महत्व होता है।
नवमी का शुभ रंग और फूल
नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी पर हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। हरा रंग सुख-समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है, इसलिए इस दिन इसे पहनना शुभ फलदायक होता है।
मां सिद्धिदात्री को कमल और चंपा के फूल विशेष प्रिय हैं। इन फूलों को अर्पित करने से सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है और हर कार्य में सफलता मिलती है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे हरे रंग के कपड़े पहनें।
घर के पूजा स्थल को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करें।
चौकी पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
जल, अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
मां सिद्धिदात्री का आह्वान करें और गंगाजल से उनकी मूर्ति का अभिषेक करें।
रोली, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, फूल, और मालाएं चढ़ाएं।
सफेद या नीले रंग की चुनरी या वस्त्र अर्पित करें।

हलवा, पूरी, काला चना, खीर, नारियल और मौसमी फल भोग के रूप में चढ़ाएं।
पूजा के दौरान “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
धूप और दीप जलाएं, मां की आरती करें।
दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
नवमी के दिन कन्या पूजन का विधिपूर्वक अनुष्ठान करें।
पूजा के अंत में मां से सभी भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

