ASEAN Summit 2025: मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित तीन दिवसीय आशियान समिट में बुंदेलखंड के युवा यशोवर्मन सिंह चन्देल (यशु राजा) ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और अन्य प्रमुख कूटनीतिक एवं व्यापारिक प्रतिनिधि मौजूद थे।
यशोवर्मन, जो सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में अधिवक्ता हैं, हमीरपुर, महोबा और तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र के निवर्तमान सांसद कुँ. पुष्पेंद्र सिंह चन्देल के पुत्र हैं। उन्हें समिट में पर्यावरण, तकनीकीकरण, वैश्विक व्यापार, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास जैसे विषयों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला।
सस्टेनेबल डेवलपमेंट और तकनीकी अवरोध
यशोवर्मन ने समिट के दौरान टेक्नोलॉजिकल ऑब्सोलेसेंस पर विशेष ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन कंपनियां जानबूझकर ऐसे सॉफ़्टवेयर डालती हैं जिससे फोन धीमा हो जाता है और उपभोक्ता नया फोन खरीदने के लिए मजबूर होते हैं। यशोवर्मन ने आशियान देशों के समूह को मिलकर इस विषय पर कानून बनाने और सस्टेनेबल डेवलपमेंट में न्याय व्यवस्था की भूमिका को मजबूत करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।समिट में पर्यावरण और औद्योगिकीकरण के संतुलन पर भी जोर दिया गया। यशोवर्मन ने बताया कि उनका प्रयास था कि तकनीकी प्रगति और न्यायिक प्रणाली का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास को संतुलित किया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रभाव
भारत की ओर से इस समिट में प्रमुख रूप से विदेश मंत्री एस. जयशंकर, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं महाराष्ट्र राज्यसभा सांसद मिलिंद देवगौड़ा, और मलेशिया के पूर्व सांसद सीनेटर शिवराज चंद्रन उपस्थित थे। यशोवर्मन का प्रतिनिधित्व न केवल बुंदेलखंड बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय बना।समिट में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों ने यशोवर्मन के सुझावों और प्रस्तुति की सराहना की। यह अवसर भारतीय युवाओं की वैश्विक मंच पर सशक्त भागीदारी का प्रतीक भी माना जा रहा है।
बुंदेलखंड में हर्ष का माहौल
यशोवर्मन के अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने से बुंदेलखंड में खुशी का माहौल है। युवाओं को प्रेरणा देने वाला यह कदम यह संदेश देता है कि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के युवा भी वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा और विचारों से देश का गौरव बढ़ा सकते हैं।
इस समिट के माध्यम से न केवल भारत की कूटनीतिक और तकनीकी प्रगति उजागर हुई, बल्कि यह भी दिखाया गया कि न्याय और तकनीकी विकास का संतुलन वैश्विक व्यापार और सामाजिक सुधार में कितना महत्वपूर्ण है।
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