Yogi vs Akhilesh politics: उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र अपने अंतिम दिन पर गरमा गया जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला। सीएम योगी ने अपने संबोधन में कहा, “आपको तो गौ माता का श्राप ही ले डूबेगा, इसलिए 2027 में आने का सपना भी मत देखिए।” इस पर अखिलेश यादव ने भी जवाबी हमला करते हुए भाजपा सरकार की नीतियों पर जमकर निशाना साधा।
अखिलेश यादव का पलटवार: “सांड भी तो श्राप देगा”
लखनऊ में मीडिया से बातचीत के दौरान अखिलेश यादव ने सीएम योगी के बयान का जवाब देते हुए कहा, “अगर गौ माता श्राप देती हैं तो सांड भी तो श्राप देगा। जिनकी जान सांडों के कारण गई है, उनके परिवार किसे श्राप देंगे? कोई ऐसा जिला नहीं बचा जहां जानवरों से जान न गई हो।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि “हम पर कोई पाप नहीं पड़ेगा, पाप पड़ेगा उन पर जो व्यवस्था को नहीं संभाल पा रहे हैं।”
डॉग लवर्स और पेट पॉलिसी पर उठाए सवाल
बातचीत के दौरान अखिलेश यादव ने पशु कल्याण से जुड़े एक और मुद्दे को उठाते हुए कहा कि “अगर आप विकसित भारत का सपना देख रहे हैं तो डॉग लवर्स और पेट्स के लिए योजना क्यों नहीं है? भाजपा सरकार के पास इन मामलों को लेकर कोई विजन नहीं है।”सपा प्रमुख ने योगी आदित्यनाथ को “नकलची” करार देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सिर्फ दिल्ली की नकल कर रही है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री जी खुद कोई नीति नहीं बना पाते, सिर्फ ऊपर से मिले निर्देशों की नकल करते हैं। 24 घंटे काम कराने की बात करना इनह्यूमन (अमानवीय) है।”
शिक्षा और बिजली व्यवस्था पर सवाल
अखिलेश यादव ने कहा कि सपा सरकार में शिक्षा और बिजली व्यवस्था पर ठोस काम हुआ था। “हमने पावर प्लांट, डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसमिशन सिस्टम पर निवेश किया था, लेकिन इस सरकार ने सब बर्बाद कर दिया। प्राथमिक स्कूलों का मर्जर इसलिए किया जा रहा है ताकि चुनावी बूथों को मैनेज किया जा सके।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “हमारे कार्यकाल में कानपुर मेट्रो जैसी परियोजनाएं शुरू की गईं, लेकिन भाजपा सरकार उन्हें आगे नहीं बढ़ा पाई। संस्कृति स्कूल आज तक अधर में लटका है।”
उत्तर प्रदेश की सियासत में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘गौ माता’ वाले बयान से शुरू हुआ विवाद अब सपा और भाजपा के बीच तीखी राजनीतिक लड़ाई में बदल गया है। जहां एक तरफ भाजपा अपनी नीतियों और कानून-व्यवस्था को लेकर आत्मविश्वास में दिख रही है, वहीं अखिलेश यादव किसानों, पशुपालकों और आम जनता से जुड़े मुद्दों को उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।
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