GST Controversy India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया राष्ट्र के नाम संबोधन, जिसमें उन्होंने GST बचत उत्सव और नेक्स्ट जनरेशन टैक्स रिफॉर्म्स की घोषणा की, को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने रविवार को प्रधानमंत्री पर तीखा हमला बोला और कहा कि “आज मोदी जी GST के नाम पर अपनी वाहवाही लूटने की कोशिश कर रहे थे।”
“8 साल तक जनता पर डाला गया टैक्स का बोझ”
संजय सिंह ने कहा “जब 2017 में GST लागू हुआ था, तब इसे एक ऐतिहासिक आर्थिक क्रांति बताया गया था। लेकिन हकीकत यह है कि पिछले 8 सालों में देश की जनता से लाखों-करोड़ों रुपये टैक्स के नाम पर वसूले गए। अब जब चुनाव नजदीक हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी ‘बचत उत्सव’ का नाम देकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।”उन्होंने सवाल उठाया कि अगर आज सरकार GST से राहत देने की बात कर रही है, तो इतने वर्षों तक जरूरी वस्तुओं पर टैक्स क्यों लगाया गया?
“वाहवाही नहीं, जवाब दीजिए”
AAP सांसद ने प्रधानमंत्री से सवाल किया “प्रधानमंत्री जी, क्या आपको नहीं पता कि GST के चलते छोटे व्यापारी, रेहड़ी-पटरी वाले, मध्यम वर्ग, किसान और यहां तक कि विद्यार्थियों तक पर आर्थिक बोझ पड़ा? क्या आपको याद है कि बच्चों की पेंसिल, रबर, किताबें और इलाज तक पर टैक्स लगाया गया?” उन्होंने कहा कि सरकार को पहले इन मुद्दों पर माफी मांगनी चाहिए, न कि “बचत उत्सव” की आड़ में खुद की पीठ थपथपानी चाहिए।
“GST से क्या वाकई हुआ फायदा?”
संजय सिंह ने सवाल किया कि अगर सरकार के दावों के अनुसार GST इतना फायदेमंद था, तो फिर क्यों: लाखों छोटे उद्योग बंद हुए? व्यापारी आज भी टैक्स स्लैब्स से परेशान हैं? टैक्स कलेक्शन के बावजूद महंगाई चरम पर है? उन्होंने कहा कि जनता को अब आंकड़ों के खेल से भ्रमित नहीं किया जा सकता। संजय सिंह ने प्रधानमंत्री के इस घोषणा को “चुनावी स्टंट” करार दिया और कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए यह प्रयास किया जा रहा है।”जब चुनाव आते हैं, तभी सरकार को जनता की याद आती है। बाकी समय तो टैक्स की मार ही जनता का भाग्य बन जाती है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के GST संबोधन के बाद विपक्षी दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इसे जनता के घावों पर नमक छिड़कने जैसा बताया है और सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर क्यों 8 वर्षों तक जनता पर टैक्स का बोझ डाला गया, और अब क्यों इसे राहत की तरह पेश किया जा रहा है।
