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संविधान संशोधन बिल पर संसद में मचा था हंगामा
मॉनसून सत्र के दौरान जब यह संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया गया, तो विपक्ष ने इसे ‘काला कानून’ बताते हुए जोरदार हंगामा किया। यह विधेयक गंभीर आपराधिक मामलों में दोषी पाए जाने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने से जुड़ा है। विपक्ष के विरोध पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, “जब कोई विधेयक पेश होता है, तो संसद में बहस और चर्चा के लिए मंच होता है, न कि हंगामे के लिए।”
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“हम विधेयक को संयुक्त समिति को सौंपने को तैयार” – शाह
अमित शाह ने अपने इंटरव्यू में बताया कि सरकार इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने को तैयार है ताकि इस पर सभी दलों की विस्तृत राय ली जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जब यह संशोधन मतदान के लिए आएगा, तो उसे पास कराने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। यदि सरकार के पास बहुमत होगा, तो विधेयक पारित होगा, अन्यथा नहीं।
विपक्ष को जनता को देना होगा जवाब
गृह मंत्री ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “क्या लोकतंत्र में कोई सरकार विधेयक या संविधान संशोधन भी पेश न कर सके? हमने भी कई बार विरोध किया है, लेकिन कभी भी किसी विधेयक को पेश करने से रोका नहीं। संसद बहस का मंच है, न कि शोर-शराबे का। विपक्ष को जनता को जवाब देना होगा कि उन्होंने चर्चा से क्यों भाग लिया।”
“पीएम मोदी ने खुद इस बिल में अपना पद जोड़ा”
अमित शाह ने यह खुलासा भी किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कहा था कि यदि यह बिल लाया जा रहा है, तो उसमें प्रधानमंत्री का पद भी शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा, “पीएम मोदी ने साफ निर्देश दिया था कि यदि किसी प्रधानमंत्री को गंभीर आरोप में जेल जाना पड़े, तो उसे तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। इससे देश की प्रतिष्ठा और प्रशासनिक पारदर्शिता बनी रहेगी।”
