Atul Subhash Suicide Case:बेंगलुरू में पत्नी पर उत्पीड़न का आरोप लगा आत्महत्या करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष (Atul Subhash Suicide Case)के पिता पवन मोदी (Pawan Modi)ने अपने दर्द को साझा किया है। उनका कहना है कि अब उन्हें अपनी चिंता सिर्फ एक बात की है – उनका पोता व्योम कहां है, वह सुरक्षित है या नहीं। बिहार के समस्तीपुर में रहने वाले पवन मोदी ने मीडिया से बात करते हुए इस बारे में अपनी चिंता जाहिर की।
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“पोते के बारे में कोई जानकारी नहीं”

पवन मोदी के अनुसार, उन्हें अभी तक यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि उनका पोता व्योम कहां है और उसकी स्थिति क्या है। उन्होंने बताया कि पुलिस से भी इस मामले में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल रही है। पवन मोदी का कहना है, “अगर पुलिस चाहे तो वो पोते का लोकेशन ट्रैक कर सकती है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है।” उनका यह भी कहना है कि उन्हें शक है कि पोते के साथ कुछ गलत हो सकता है, जैसा कि उनके बेटे अतुल के साथ हुआ था। अतुल ने पत्नी पर उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
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अदालत का रुख और प्रशासनिक लापरवाही

अतुल के पिता ने बताया कि उन्होंने न्याय पाने के लिए अदालत का रुख किया था और सर्वोच्च न्यायालय से आदेश भी प्राप्त किया था। अदालत ने तीन राज्यों की पुलिस को आदेश दिया था कि वे सात तारीख तक पोते को पेश करें, लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पवन मोदी का मानना है कि इस मामले में कानून का गलत इस्तेमाल हो रहा है, खासकर महिलाओं के लिए बनाए गए कानूनों का, जिन्हें गलत तरीके से पुरुषों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। उनका कहना है कि यह पूरे समाज के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और अब पुरुषों के पास अपनी बात रखने का कोई अवसर नहीं बचा है।
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निष्पक्ष जांच की मांग और सुरक्षा की अपील

अतुल के पिता ने सरकार और उच्च अधिकारियों से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और उनके पोते को सुरक्षा और संरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि मेरा पोता सुरक्षित रहे और उसे एक खुशहाल जीवन जीने का मौका मिले।” पवन मोदी ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक से मदद की उम्मीद जताई थी, लेकिन उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया।
एफआईआर और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
इस मामले में अतुल के भाई विकास ने भी बात की। उन्होंने बताया कि समस्तीपुर के पूसा में जीरो एफआईआर दर्ज कराई गई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। विकास का कहना है, “हमें एफआईआर दर्ज करने के लिए कई दिन तक इंतजार करना पड़ा। अंततः सहायक जिला अधीक्षक और जिला कमिश्नर की दखल के बाद एफआईआर दर्ज की गई।” विकास ने सवाल उठाया कि सिस्टम कितनी क्षमता रखता है और क्यों इतने दिन बाद कार्रवाई की गई।सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का संज्ञान लिया और हैबियस कॉरपस पिटिशन पर यूपी, हरियाणा और कर्नाटका सरकारों को नोटिस जारी किया है।