Nepal Protests: नेपाल की राजधानी काठमांडू में 8 सितंबर 2025 को उस समय हालात बेकाबू हो गए, जब सोशल मीडिया बैन और सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ हजारों की संख्या में जेन जेड युवा सड़कों पर उतर आए। ये प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें कम से कम 20 लोगों की जान चली गई और 300 से अधिक घायल हो गए। भारी दबाव के चलते सरकार को सोशल मीडिया से बैन हटाना पड़ा और गृह मंत्री रमेश लेखक को इस्तीफा देना पड़ा।इस पूरे विरोध प्रदर्शन के केंद्र में एक नाम लगातार सामने आ रहा है — सूडान गुरुंग। सवाल उठता है कि आखिर कौन हैं ये सूडान गुरुंग, जिनकी आवाज पर पूरा नेपाल हिल गया?
कौन है सुदन गुरुंग?
सुदन गुरुंग, उम्र लगभग 36 वर्ष, एक सामाजिक कार्यकर्ता और युवाओं के बीच लोकप्रिय नाम हैं। उन्होंने 2015 में नेपाल में आए भीषण भूकंप के बाद “हामी नेपाल” नामक एक युवा संगठन की स्थापना की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, उस आपदा में उन्होंने अपना बच्चा खो दिया था। यही हादसा उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया और उन्होंने इवेंट ऑर्गेनाइजर की दुनिया छोड़कर राहत कार्य और नागरिक आंदोलनों में कदम रखा।इसके बाद से ही सूडान लगातार भ्रष्टाचार, जवाबदेही और पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। उनके नेतृत्व में कई बार शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी हुए हैं।
क्या था सोशल मीडिया बैन का मामला?
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स (ट्विटर), व्हाट्सएप समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया था। सरकार का कहना था कि ये कंपनियां निर्धारित समय तक पंजीकरण नहीं करवा पाईं। लेकिन जनता ने इसे “अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला” माना और इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आई।इस विरोध में शामिल अधिकांश युवा वे थे जो 1997 से 2012 के बीच जन्मे — जिन्हें जेनरेशन Z यानी Gen-Z कहा जाता है। छात्र यूनिफॉर्म में, किताबें और बैग लेकर विरोध में शामिल हुए, जिसने आंदोलन को और भावनात्मक बना दिया।
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जब आंदोलन ने उग्र रूप लिया और सरकार घबराई
संसद भवन तक पहुंचते ही प्रदर्शन उग्र हो गया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़पें हुईं और हालात बिगड़ गए। सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को संसद के आसपास तैनात कर दिया। इसके बाद देर रात आपातकालीन बैठक बुलाई गई, जिसमें सोशल मीडिया बैन हटाने का फैसला लिया गया।गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने घोषणा की कि सभी प्लेटफॉर्म्स फिर से चालू कर दिए जाएंगे।
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अब मांग पीएम ओली के इस्तीफे की
इस आंदोलन का अंत अब भी नहीं हुआ है। 9 सितंबर को भी प्रदर्शन जारी रहा और अब आवाज उठने लगी है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना चाहिए।सूडान गुरुंग का यह नेतृत्व नेपाल के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है, जिसमें एक साधारण समाजसेवी ने जनसंकल्प की शक्ति से पूरी सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया।
